TUMHARE PRAHARI

जमीन के नीचे किसी कोने,

एक नया सफर खोजना

धूप की किरणों से विमुख

तुम में नया सवेरा देखना

धूल से पटे खप्पर को

जब बारिश की बूंदे भिगोयेगी

तुम देखना मेरी अनकही आंखों में

 कई रातों की कहानियां मिलेंगी

और धूल-मिट्टी से सने कपड़े

जो तुम देखकर पिघलोगे

मेरी बढ़ी दाढ़ी और अनसुलझे बालो से

इस जीवन क्रम का उल्लेख करोगे

पर पता नहीं तुम्हे

सांसो की महत्ता यहाँ पर

आधी तेज होकर निकल जाती है

उन्ही अनकही कहानियों के सफर पर ।

कई किट-पतंगों के संग

नई मित्रता को पिरोये

बदलो सी गर्जना के बीच

यादों को कहानियों में पिरोये ।

पर तुम देखना वही

जो ठंडी तासीर दे मन को

तुम्हारे दिनों को व्यवस्थित रखने

अंधेरो में खड़े है तुम्हारे प्रहरी

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