बदलाव

कहते हैं कि नया कश्मीर बनने को है,

हर इक शख़्स की तकदीर बदलने को है।

मौसम ही बदलते देखे है लोगों ने यहा,

हालातों की करवट ना बदली,

वजीर – ए – आजम जरूर बदलने को है।

चिल्ल – ए – कलाां का आगाज मुबारक हो सबको,

शीन का असर अब सियासती चालें बदलने को है।

हाँ सच है कि सियासतों का दौर चल रहा है पुरजोर,

वादों और इरादों कि अब तस्वीर बदलने को है।

वैसे कुछ बदलने की उम्मीद छोड़ चुकी है आवाम,

पर क्या तख्त पे बैठे लोगों का जमीर भी बदलने को है?

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